Saturday, March 31, 2012

MY PIC

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Monday, March 5, 2012

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके

नई दिल्ली।। दिल्ली और एनसीआर समते उत्तर भारत के कई इलाकों में दोपहर सवा एक बजे के करीब भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। 10 सेकंड तक इन इलाकों को हिलाने वाले इस जलजले की तीव्रता को लेकर दो आंकड़े सामने आ रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग का कहना है रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.9 थी, जबकि यूएस जिऑलजिकल सर्वे डिपार्टमेंट के मुताबिक इसकी तीव्रता 5.2 मापी गई है।

भूकंप के झटके हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और यूपी समेत उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में भी महसूस किए गए, जबकि इसका केंद्र हरियाणा के बहादुरगढ़ में था। भूकंप आने के बाद लोग घरों से बाहर निकल आ गए। हालांकि, कहीं से जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है। जहां-जहां भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, उन इलाकों में जिला प्रशासन मालूम करने में जुटा है कि दूर-दराज के इलाकों में क्षति हुई है या नहीं।

Dheeraj Mishra
05.03.2012

Tuesday, July 26, 2011

विद्यापति

विद्यापति शिव एवं शक्ति दोनों के प्रबल भक्त थे। शक्ति के रुप में उन्होंने दुर्गा, काली, भैरवि, गंगा, गौरी आदि का वर्णन अपनी रचनाओं में यथेष्ठ किया है। मिथिला के लोगों में यह बात आज भी व्याप्त है कि जब महाकवि

विद्यापति काफी उम्र के होकर रुग्न हो गए तो अपने पुत्रों और परिजनों को बुलाकर यह आदेश दिया:

“अब मैं इस शरीर का त्याग करना चाहता हूँ। मेरी इच्छा है कि मैं गंगा के किनारे गंगाजल को स्पर्श करता हुआ अपने दीर्ध जीवन का अन्तिम सांस लूं। अत: आप लोग मुझे गंगालाभ कराने की तैयारी में लग जाएं। कहरिया को बुलाकर उस पर बैठाकर आज ही हमें सिमरिया घाट (गंगातट) ले चलें।”

अब परिवार के लोगों ने महाकवि का आज्ञा का पालन करते हुए चार कहरियों को बुलाकर महाकवि के जीर्ण शरीर को पालकी में सुलाकर सिमरिया घाट गंगालाभ कराने के लिए चल पड़े – आगे-आगे कहरिया पालकी लेकर और पीछे-पीछे उनके सगे-सम्बन्धी। रात-भर चलते-चलते जब सूर्योदय हुआ तो विद्यापति ने पूछा: “भाई, मुझे यह तो बताओं कि गंगा और कितनी दूर है?”

“ठाकुरजी, करीब पौने दो कोस।” कहरियों ने जवाब दिया। इस पर आत्मविश्वास से भरे महाकवि यकाएक बोल उठे: “मेरी पालकी को यहीं रोक दो। गंगा यहीं आएंगी।”

“ठाकुरजी, ऐसा संभव नहीं है। गंगा यहाँ से पौने दो कोस की दूरी पर बह रही है। वह भला यहाँ कैसे आऐगी? आप थोड़ी धैर्य रक्खें। एक घंटे के अन्दर हम लोग सिमरिया घाट पहुँच जाएंगे।”

“नहीं-नहीं, पालकी रोके” महाकवि कहने लगे, “हमें और आगे जाने की जरुरत नहीं। गंगा यहीं आएगी। आगर एक बेटा जीवन के अन्तिम क्षण में अपनी माँ के दर्शन के लिए जीर्ण शरीर को लेकर इतने दूर से आ रहा है तो क्या गंगा माँ पौने दो कोस भी अपने बेटे से मिलने नहीं आ सकती? गंगा आएगी और जरुर आएगी।”

इतना कहकर महाकवि ध्यानमुद्रा में बैठ गए। पन्द्रह-बीस मिनट के अन्दर गंगा अपनी उफनती धारा के प्रवाह के साथ वहाँ पहुँच गयी। सभी लोग आश्चर्य में थे। महाकवि ने सर्वप्रथम गंगा को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया, फिर जल में प्रवेश कर निम्नलिखित गीत की रचना की:

बड़ सुखसार पाओल तुअ तीरे।
छोड़इत निकट नयन बह नीरे।।
करनोरि बिलमओ बिमल तरंगे।
पुनि दरसन होए पुनमति गंगे।।
एक अपराध घमब मोर जानी।
परमल माए पाए तुम पानी।।
कि करब जप-तप जोग-धेआने।
जनम कृतारथ एकहि सनाने।।
भनई विद्यापति समदजों तोही।
अन्तकाल जनु बिसरह मोही।।

इस गंगा स्तुति का अर्थ कुछ इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है:

“हे माँ पतित पावनि गंगे, तुम्हारे तट पर बैठकर मैंने संसार का अपूर्व सुख प्राप्त किया। तुम्हारा सामीप्य छोड़ते हुए अब आँखों से आँसू बह रहे हैं। निर्मल तरंगोवानी पूज्यमती गंगे! मैं कर जोड़ कर तुम्हारी विनती करता हूँ कि पुन: तुम्हारे दर्शन हों।”

ठमेरे एक अपराध को जानकर भी समा कर देना कि हे माँ! मैंने तुम्हें अपने पैरों से स्पर्श कर दिया। अब जप-तप, योग-ध्यान की क्या आवश्यकता? एक ही स्नान में मेरा जन्म कृतार्थ हो गया। विद्यापति तुमसे (बार-बार) निवेदन करते है कि मृत्यु के समय मुझे मत भूलना।”

Tuesday, November 30, 2010

क्या है सच्चा प्यार

Dushyant: क्या है सच्चा प्यार ? आओ सुनो एक कहानी एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया , उसने गुलाब को प्रपोस किया , गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा , जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया, ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थी इसीलिए कहा गया है की सच्चे प्यार का कभी भी इम्तहान नहीं लेना चाहिए, क्यूंकि सच्चा प्यार कभी इम्तहान का मोहताज नहीं होता है , ये वो फलसफा; है जो आँखों से बया होता है , ये जरूरी नहीं की तुम जिसे प्यार करो वो तुम्हे प्यार दे , बल्कि जरूरी ये है की जो तुम्हे प्यार करे तुम उसे जी भर कर प्यार दो, फिर देखो ये दुनिया जन्नत सी लगेगी प्यार खुदा की ही बन्दगी है ,खुदा भी प्यार करने वालो के साथ रहता है,